खेल

आर्किटेक्ट से नंबर-1 स्पिनर तक: वरुण चक्रवर्ती की प्रेरणादायक कहानी।

आर्किटेक्ट से नंबर-1 स्पिनर तक: वरुण चक्रवर्ती की प्रेरणादायक कहानी।

नई दिल्ली, 25 सितम्बर।भारतीय क्रिकेट में आज जिस खिलाड़ी का नाम सबसे तेजी से चर्चा में है, वह हैं वरुण चक्रवर्ती। एक समय था जब उन्होंने क्रिकेट छोड़कर आर्किटेक्ट बनने का रास्ता चुन लिया था, लेकिन आज वही खिलाड़ी टीम इंडिया की जीत की अहम कड़ी साबित हो रहे हैं।

असफलताओं से भरी शुरुआत

शुरुआत में वरुण ने अलग-अलग भूमिकाओं में खुद को आज़माया। बल्लेबाज, विकेटकीपर और फिर तेज गेंदबाज बनने की कोशिश की, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। 40 से ज्यादा सेलेक्शन ट्रायल्स में रिजेक्शन झेलने के बाद उन्होंने ठान लिया कि अब क्रिकेट नहीं, बल्कि पढ़ाई करेंगे।

आर्किटेक्ट की पढ़ाई और नौकरी

वरुण ने पांच साल आर्किटेक्चर की पढ़ाई की और पढ़ाई पूरी होने के बाद तीन साल नौकरी भी की। लेकिन ऑफिस की कुर्सी पर बैठकर काम करना उन्हें रास नहीं आया। अंदर कहीं न कहीं क्रिकेट का जुनून अभी भी जिंदा था।

पिता से मिली मंजूरी, आखिरी दांव

नौकरी छोड़ने से पहले उन्होंने पिता से कहा कि बस एक बार और मौका दें, यह आखिरी कोशिश होगी। इस बार उन्होंने स्पिन गेंदबाजी अपनाई और यहीं से उनकी किस्मत ने करवट ली।

घरेलू क्रिकेट से IPL तक

तमिलनाडु के लिए खेलते हुए उन्होंने घरेलू क्रिकेट में प्रदर्शन से ध्यान खींचा और फिर इंडियन प्रीमियर लीग में जगह बनाई। वहाँ उनकी “मिस्ट्री स्पिन” ने बल्लेबाजों को खूब परेशान किया। धीरे-धीरे वह टीम मैनेजमेंट और चयनकर्ताओं की नजर में आ गए।

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाकेदार एंट्री

वरुण ने टी20 अंतरराष्ट्रीय से अपने करियर की शुरुआत की और जल्द ही वनडे में भी टीम इंडिया का हिस्सा बने। खास बात यह है कि सीमित ओवरों के क्रिकेट में उन्होंने लगातार प्रभाव डाला है।
चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज ट्रैविस हेड को आउट करना उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। जब भारतीय गेंदबाजों पर लगातार रन बरस रहे थे, तभी कप्तान रोहित शर्मा ने गेंद वरुण को दी और उन्होंने आते ही मैच का रुख पलट दिया।

आंकड़े बताते हैं असर क्या है वरुण चक्रवर्ती

आज वरुण के पास IPL में शतक (100+) से ज्यादा विकेट हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने टी20 और वनडे दोनों में प्रभावशाली गेंदबाजी की है। उनकी गेंदबाजी औसत और इकॉनमी दोनों दर्शाते हैं कि वह लंबे समय तक टीम इंडिया के लिए संपत्ति साबित हो सकते हैं।

मिडिल क्लास सपनों की मिसाल

वरुण की कहानी हर उस मिडिल क्लास लड़के की है जो बार-बार असफल होता है, लेकिन हार नहीं मानता। अगर वह नौकरी में ही लगे रहते तो शायद आज गुमनाम होते। लेकिन आखिरी मौके तक टिके रहने की जिद ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का सितारा बना दिया।

यह कहानी यह सिखाती है कि असफलता चाहे जितनी भी बड़ी क्यों न हो, अगर सपनों को पूरा करने का हौसला है तो मंज़िल जरूर मिलती है।

 

Back to top button