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नेम प्लेट मामले की सुनवाई 26 को,सरकार कोर्ट में पेश करेगी अपने तथ्य।

नेम प्लेट मामले की सुनवाई 26 को,सरकार कोर्ट में पेश करेगी अपने तथ्य।

इन दिनों राजधानी में नेम प्लेट विवाद काफी जोरो पर हैं।इसे कई लोग इसे सही बता रहे है तो कही लोग गैर कानूनी बोल रहे हैं।विपक्ष इसे एक तुगलकी फरमान बता रहा हैं।विपक्ष का कहना है कि इसे आपस मे भेदभाव बढ़ेगा और समाज मे दूरी बढ़ेगी।

26 जुलाई यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में कावड़ यात्रा में सुनवाई होनी हैं।इससे पहले 22 जुलाई को सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को अपना पक्ष रखने का आदेश दिया था।अब सरकार ने सामने यह चुनौती होगी की वह आपने आदेश को सही साबित कर सके।यह एक बड़ी चुनौती हैं।
सरकार के आलाधिकारी लगे है आदेश को सही साबित करने के लिए।
 
देखने  वाली बात यह है कि इस पूरे मामले को सीएम योगी स्वयं देख रहे हैं।सरकार के बड़े से अधिकारी ,वरिष्ठ वकील, लखनऊ से दिल्ली तक लगे है जिससे इसमें पुख्ता तथ्य जुटा सके और इसके ठीक प्रकार से लागू कर सके।
सरकार ने साफ किया है यह किसी धर्म जाति को लेकर कोई आदेश नही हैं।जो भी आदेश जारी किया गया है कानून के दायरे में रहकर किया गया हैं।कुछ भी निराधार नही हैं।
क्या है सरकार की दलीलें आदेश के पक्ष में।
 
सरकार ने यह आदेश जारी किया है उस पर  साफ बताया था कि यह आदेश कोई बीजेपी सरकार में नही दिया गया हैं,बल्कि यह आदेश कांग्रेस की सरकार में लाया गया था।
  यह बात है 2006 की कांग्रेस की सरकार में खाद्य सुरक्षा बिल लाया गया था जिसे सरकार लागू कर रही हैं कुछ भी नया नही किया गया हैं।दूसरा सरकार का कहना हैं कि इसमें कावड़ियों की खान-पान की,साफ- सफाई की बात है।सरकार का कहना है कांवड़ यात्रा एक आस्था का विषय भी है इससे प्रत्येक सनातनी की आस्था जुड़ी हुई हैं।सरकार ने कहा है सरकार चाहती है कावड़ियों की कावड यात्रा में किसी भी प्रकार का व्यवधान न आने पाये।
 सरकार के लिए बना प्रतिष्ठा का विषय।
सरकार को हर हाल में अपने आदेश को सही साबित करना प्रतिष्ठा का विषय है क्योकि अगर सरकार के पक्ष में कोर्ट का फैसला नही आता  है तो विपक्ष सरकार पर हावी हो जायेगा और सरकार ऐसा नही होने देना चाहती हैं।जबसे इंडी का लोकसभा चुनावो में अच्छा प्रदर्शन किया है तब से विपक्ष सरकार पर निरंतर दबाव बना रहा हैं।सरकार को अपने फैसले लेने में असुविधा का सामना करना पड़ रहा हैं।राजनीति के जानकर कह रहे है कि सरकार के लिए यह आदेश सही साबित करना काफी मुश्किल भरा रहना वाला होगा।

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