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स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अधिकारों की वापसी की उठी मांग।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के अधिकारों की वापसी की उठी मांग।

देश की आज़ादी की नींव रखने वाले 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले उन वीर सेनानियों के परिवार आज भी अपने हक़ और सम्मान से वंचित हैं, जिनकी संपत्तियों को अंग्रेज़ों ने जब्त कर लिया था। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अली ज़ैदी ने इस मुद्दे को लेकर सरकार से एक भावुक और ऐतिहासिक मांग की है।

अली ज़ैदी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने न सिर्फ़ स्वतंत्रता सेनानियों की उपेक्षा की बल्कि क्रांतिकारियों और राष्ट्रवादियों के साथ दमनात्मक व्यवहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अंग्रेज़ों के साथ कांग्रेस ने मधुर संबंध बनाकर ऐसे वीरों को मुख्यधारा से बाहर कर दिया, जिनका योगदान राष्ट्र के लिए सर्वोपरि था।

ज़ैदी ने भारत सरकार से अपील की है कि वे तत्कालीन ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा जब्त की गई उन चल-अचल संपत्तियों को स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को लौटाने का ऐतिहासिक निर्णय लें। उनका मानना है कि ऐसा फैसला न सिर्फ़ पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाएगा, बल्कि देशभक्ति की भावना को आने वाली पीढ़ियों में और प्रबल करेगा।

उन्होंने भरोसा जताया कि यह कार्य केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जैसे राष्ट्रभक्त नेतृत्व में ही संभव है। ज़ैदी ने कहा कि इस आशय का एक विस्तृत पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय को जल्द भेजा जाएगा ताकि इस ऐतिहासिक अन्याय को सुधारा जा सके।

यह आवाज़ अब सैकड़ों देशभक्तों की उम्मीद बन चुकी है। ऐसे में ज़रूरत है कि देश अपने असली नायकों को उनका सम्मान और अधिकार वापस लौटाए।

 

 

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