शरद पूर्णिमा आज: मां लक्ष्मी के आगमन और चंद्र अमृत से भरी रात।

शरद पूर्णिमा आज: मां लक्ष्मी के आगमन और चंद्र अमृत से भरी रात।
लखनऊ। सनातन परंपरा में आश्विन मास की पूर्णिमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। इसे शरद पूर्णिमा, कोजागर पूर्णिमा, कोजागिरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा जैसे कई नामों से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन धन और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो व्यक्ति जागरण कर उन्हें भक्ति भाव से स्मरण करता है, उसे धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसीलिए इस दिन को ‘कोजागर पूर्णिमा’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है — ‘कौन जाग रहा है?’ यानी जो मां के नाम का जाप कर जागता है, उस पर देवी लक्ष्मी की कृपा बरसती है।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ रासलीला की थी। इसीलिए इसे रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है और उसका शीतल प्रकाश अमृत के समान होता है, जो शरीर और मन दोनों को पवित्रता और ऊर्जा प्रदान करता है।
शरद पूर्णिमा के अवसर पर लोग अपने घरों में दूध-चावल (खीर) बनाकर खुले आकाश के नीचे रखते हैं, ताकि उसमें चंद्रकिरणों का स्पर्श हो सके। धार्मिक विश्वास है कि इस खीर में अमृत तत्व समाहित हो जाता है, जो स्वास्थ्य और सौभाग्य बढ़ाने वाला माना जाता है।
इस शुभ अवसर पर भक्तजन मां लक्ष्मी की पूजा कर दीप जलाते हैं और अपने घर-आंगन में धन-समृद्धि की कामना करते हैं।आज की रात सिर्फ चांदनी नहीं, आस्था का उजाला भी लेकर आती है।



