दशहरा 2025 : बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व, उत्साह और भव्यता के साथ मनायेगा देश।

दशहरा 2025 : बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व, उत्साह और भव्यता के साथ मनायेगा देश।
धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उत्सव का संगम
आज पूरे देश में विजयादशमी यानी दशहरे का पर्व पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी बन गया है। सुबह से ही मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना हुई। श्रद्धालुओं ने भगवान राम और मां दुर्गा की आराधना कर परिवार की सुख-समृद्धि और समाज में शांति की कामना की।
दशहरा का पर्व नवरात्र के नौ दिनों की साधना और उपवास के बाद आता है। नवरात्रि में जहां देवी दुर्गा की शक्ति का पूजन किया जाता है, वहीं विजयादशमी पर भगवान राम द्वारा रावण के वध की स्मृति में उत्सव मनाया जाता है। यह पर्व इस संदेश को देता है कि अधर्म चाहे कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंततः धर्म की विजय निश्चित है।
रामलीला और रावण दहन की परंपरा
देश के विभिन्न हिस्सों में दशहरे पर भव्य रामलीलाओं का आयोजन होता है। राजधानी लखनऊ, वाराणसी, अयोध्या, दिल्ली, कोलकाता से लेकर दक्षिण भारत तक रामायण के दृश्यों का मंचन किया जाता है। खासकर उत्तर भारत में रामलीला एक बड़ा आकर्षण रहती है।
शाम होते ही रामलीला मैदानों में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के विशालकाय पुतले खड़े किए जाते हैं। जैसे ही भगवान राम के वेश में कलाकार तीर चलाते हैं, वैसे ही रावण का पुतला जल उठता है और लोग ‘जय श्रीराम’ के जयकारों से वातावरण गूंजा देते हैं। इस दौरान आतिशबाज़ी का भव्य नजारा लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
लखनऊ में ऐतिहासिक ऐशबाग रामलीला का विशेष महत्व है, जहां हजारों की भीड़ जुटती है। वहीं वाराणसी में रामनगर की रामलीला विश्वप्रसिद्ध है, जिसे देखने देश-विदेश से लोग आते हैं।
मेलों की रौनक और पारंपरिक आकर्षण
दशहरे के दिन केवल धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं होते बल्कि बड़े-बड़े मेले भी लगते हैं। झूले, खाने-पीने के स्टॉल, लोकगीत, नाटक और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों से माहौल उत्सवमय हो जाता है। बच्चे मेले में खिलौने और गुब्बारे खरीदते हैं तो महिलाएं सजावटी सामान और मिठाइयों की खरीदारी करती हैं।
दशहरे का मेला एक तरह से परिवार और समाज के लोगों को जोड़ने का माध्यम बन जाता है। शहर ही नहीं, गांव-कस्बों में भी मेले की परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां
त्योहार को देखते हुए प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क रहता है। पुलिस-प्रशासन द्वारा आयोजन स्थलों पर सुरक्षा के विशेष इंतज़ाम किए गए हैं। प्रमुख स्थानों पर पुलिस बल की तैनाती, सीसीटीवी कैमरों से निगरानी और ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था की गई है।
लखनऊ में दशहरे के अवसर पर कई स्थानों पर ट्रैफिक रूट बदले गए ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। वहीं दिल्ली, अयोध्या, कानपुर, पटना और कोलकाता जैसे शहरों में भी प्रशासन ने पर्याप्त इंतजाम किए हैं।
धार्मिक मान्यता और प्रतीकात्मक महत्व
दशहरा केवल एक त्योहार नहीं बल्कि एक गहरी धार्मिक और दार्शनिक मान्यता का प्रतीक है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। रावण विद्वान और शक्तिशाली था, लेकिन अहंकार और अधर्म के रास्ते पर चलने के कारण उसका अंत हुआ।
इसी तरह, यह पर्व हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों न हो, सत्य और धर्म की विजय सुनिश्चित है। यही कारण है कि रावण दहन को प्रतीकात्मक रूप से बुराई के अंत और अच्छाई की जीत के रूप में देखा जाता है।
इसके अलावा, यह पर्व शक्ति की उपासना का भी प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा ने असुर महिषासुर का वध किया था। इसलिए विजयादशमी को देवी की विजय और शक्ति के रूप में भी पूजा जाता है।
सामाजिक एकता का पर्व
दशहरा केवल हिंदू धर्मावलंबियों तक सीमित नहीं है। इस पर्व की सामाजिक और सांस्कृतिक छवि ऐसी है कि हर वर्ग और समुदाय के लोग इसमें शामिल होते हैं। रामलीला और दशहरे के मेले में हर धर्म और जाति के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
यह त्योहार सामाजिक एकता और भाईचारे का संदेश देता है। लोग अपने रिश्तेदारों और मित्रों के घर जाकर शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।
आधुनिक दौर में दशहरा
आज के आधुनिक समय में भी दशहरे की परंपराएं जीवंत हैं। हालांकि आतिशबाज़ी और पुतलों के आकार को लेकर पर्यावरणीय चिंताएं भी उठने लगी हैं। कई स्थानों पर प्रदूषण और सुरक्षा को देखते हुए इको-फ्रेंडली पुतलों का दहन किया जाने लगा है।
तकनीक के इस दौर में कई शहरों की रामलीला ऑनलाइन भी देखी जा सकती है। टीवी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग के जरिए देश-विदेश में बैठे लोग इस उत्सव का आनंद उठा रहे हैं।
व्यापार और दशहरे की खरीदारी
दशहरा आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग नए वाहन, घर, सोना-चांदी और इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदना शुभ मानते हैं। दुकानों और शो-रूमों में विशेष ऑफर और डिस्काउंट भी मिलते हैं। व्यापारियों के लिए यह दिन लाभकारी माना जाता है क्योंकि ग्राहक बड़ी संख्या में खरीदारी करने निकलते हैं।
यह पर्व देता है अच्छाई की जीत का संदेश
दशहरा हमें यह संदेश देता है कि अहंकार, अधर्म और अन्याय का अंत निश्चित है और सत्य, धर्म तथा अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह पर्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव, सांस्कृतिक समृद्धि और मानवीय मूल्यों का प्रतीक भी है।
आज जब समाज अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, दशहरा हमें याद दिलाता है कि यदि हम सत्य और धर्म के मार्ग पर चलें तो हर कठिनाई पर विजय पाना संभव है।



