उत्तर प्रदेशलखनऊ

सहकारिता विभाग में आयुक्त पर गंभीर आरोप, कर्मचारियों का फूटा गुस्सा

सहकारिता विभाग में आयुक्त पर गंभीर आरोप, कर्मचारियों का फूटा गुस्सा

लखनऊ।उत्तर प्रदेश का सहकारिता विभाग इन दिनों गंभीर विवादों में घिरा हुआ है। विभाग के आयुक्त एवं निबंधक योगेश कुमार पर ऐसे आरोप लगे हैं, जिनसे न केवल विभागीय कर्मचारियों में गहरा असंतोष पैदा हुआ है बल्कि सरकार की छवि भी दांव पर लग गई है।

आरोप है कि योगेश कुमार ने चौधरी चरण सिंह सहकारिता भवन (पीसीयू) के पंचम तल पर अपने लिए भव्य कार्यालय का निर्माण शुरू करवाया है। खास बात यह है कि यह निर्माण कार्य न तो शासन से स्वीकृत है और न ही इसके लिए कोई बजटीय प्रावधान किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि इस खर्च को पूरा करने के लिए विभाग से जुड़ी आर्थिक रूप से कमजोर सहकारी संस्थाओं पर दबाव बनाया गया।

अपमानजनक भाषा और व्यवहार पर सवाल

विभागीय कर्मचारियों का आरोप है कि योगेश कुमार का व्यवहार लगातार अपमानजनक और आक्रामक रहा है। वे मीटिंग या कार्यस्थल पर अक्सर “तुम चोर हो”, “तुम्हें उल्टा टांग दूंगा” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। इतना ही नहीं, एक कर्मचारी के रंग पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने कर्मचारियों का गुस्सा और भड़का दिया है।

कर्मचारियों का कहना है कि वे बार-बार अपमानित महसूस कर रहे हैं। 20 अगस्त 2025 को जब कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था, तब आयुक्त ने खेद जताकर व्यवहार सुधारने का आश्वासन दिया था। लेकिन आरोप है कि उसके बाद भी उनके रवैये में कोई बदलाव नहीं आया। यही वजह है कि अब कर्मचारियों ने 19 सितंबर को फिर से आंदोलन की चेतावनी दी है।

विभाग की संवेदनशील भूमिका

गौरतलब है कि सहकारिता विभाग किसानों, मजदूरों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को संस्थागत ऋण, सहायता और सहकारी सेवाएं उपलब्ध कराने का काम करता है। इस विभाग की कार्यप्रणाली सीधे तौर पर लाखों परिवारों को प्रभावित करती है।

इस वर्ष संयुक्त राष्ट्र ने भी 2025 को “अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष” के रूप में घोषित किया है, जिससे विभाग की जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। ऐसे में विभागीय प्रमुख पर गंभीर आरोप लगना सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है।

नियुक्ति को लेकर भी उठे सवाल

आमतौर पर इस विभाग में प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव स्तर के वरिष्ठ और अनुभवी अधिकारी ही आयुक्त के पद पर नियुक्त किए जाते रहे हैं। लेकिन इस बार अपेक्षाकृत कनिष्ठ अधिकारी, विशेष सचिव स्तर के योगेश कुमार को इस जिम्मेदारी के लिए चुना गया। अब उनके खिलाफ उठ रहे आरोपों के चलते यह नियुक्ति भी सवालों के घेरे में आ गई है।

पुराने विवादों की परछाई

यह पहला मौका नहीं है जब योगेश कुमार विवादों में घिरे हों। वर्ष 2017 में अमेठी के जिलाधिकारी रहते हुए भी उनकी कार्यशैली और व्यवहार को लेकर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज हुई थीं। उस समय भी स्थानीय स्तर पर उनका विरोध हुआ था। अब सहकारिता विभाग में दोबारा विवाद खड़ा होना उनके पुराने रुख की ही पुनरावृत्ति माना जा रहा है।

कर्मचारियों का बढ़ता आक्रोश और सरकार की चुनौती

विभागीय कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यदि आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं कराई गई,

तो वे बड़े आंदोलन की राह अपनाएंगे। कर्मचारियों के बढ़ते गुस्से और गंभीर आरोपों ने विभाग का माहौल अस्थिर कर दिया है।

सरकार के लिए यह मामला संवेदनशील है क्योंकि सहकारिता विभाग की साख सीधे तौर पर किसानों और गरीब वर्ग के हितों से जुड़ी हुई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस विवाद को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है—जांच के आदेश दिए जाते हैं या फिर आयुक्त को विभाग से हटाने पर विचार होता है।

कुल मिलाकर, सहकारिता विभाग में आयुक्त योगेश कुमार को लेकर उठे विवाद ने कर्मचारियों और शासन दोनों को संकट की स्थिति में खड़ा कर दिया है।

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