लखनऊ नगर निगम का 2.31 अरब का बजट – उम्मीदें बड़ी, भरोसा कम।

लखनऊ नगर निगम का 2.31 अरब का बजट – उम्मीदें बड़ी, भरोसा कम।
लखनऊ। राजधानी के 110 वार्डों को संवारने के लिए लखनऊ नगर निगम ने 2 अरब 31 करोड़ रुपए की राशि मंजूर कर दी है। दावा है कि इस रकम से बुनियादी सुविधाओं को दुरुस्त किया जाएगा। शहर की सड़कों से लेकर नालियों, सीवर लाइन, पेयजल और स्ट्रीट लाइट तक सुधार का भरोसा दिया गया है।
मेयर की बात – “शहर की सूरत बदलेगी”
मेयर सुषमा खर्कवाल ने कहा कि यह बजट नागरिकों की मूलभूत समस्याओं को हल करने के लिए है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि विकास कार्य तेज़ी से शुरू होंगे और जल्द ही लोगों को बदलाव दिखेगा।
पार्षदों की लंबी लड़ाई के बाद मिला फंड
बीते कुछ महीनों से पार्षद लगातार अपने-अपने वार्डों में बजट की मांग कर रहे थे। परिषद की बैठकों में यह मुद्दा कई बार गर्माया। दबाव बढ़ने के बाद आखिरकार निगम ने अब राशि जारी की है, जिससे उम्मीद है कि रुके हुए छोटे-बड़े काम शुरू होंगे।
जनता की राय – “बजट आता है, गड्ढे जाते नहीं”
स्थानीय लोग निगम के दावों पर संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल करोड़ों रुपए के बजट का ऐलान होता है, मगर नतीजा बहुत कम दिखता है। टूटी सड़कें, गड्ढे और गंदगी साल-दर-साल जस की तस बनी रहती हैं। कई लोग चुटकी लेते हैं—
“यहां तो गड्ढे और टूटी नालियां ही स्थायी विकास का हिस्सा बन गए हैं।”
सबसे बड़ा सवाल – कागज़ी काम या जमीनी बदलाव?
फंड जारी होने से जहां नगर निगम उत्साहित है, वहीं जनता पूछ रही है कि क्या यह पैसा सचमुच विकास पर खर्च होगा या फिर फाइलों और रिपोर्टों में ही ‘काम पूरा’ दिखा दिया जाएगा। लोगों का मानना है कि अगर आधा भी बजट सही तरीके से जमीन पर लग गया, तो यह अपने आप में बड़ी उपलब्धि होगी।
कुल मिलाकर, लखनऊ के लोगों को इस बजट से उम्मीदें तो हैं, लेकिन भरोसा उतना नहीं। अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या शहर की गली-गली में सुधार दिखेगा या यह बजट भी सिर्फ़ “कागज़ी विकास” तक सीमित रह जाएगा।



