गाज़ा पीड़ितों के नाम पर फर्जी चंदा घोटाला, यूपी एटीएस ने मुंबई से तीन आरोपी दबोचे।

गाज़ा पीड़ितों के नाम पर फर्जी चंदा घोटाला, यूपी एटीएस ने मुंबई से तीन आरोपी दबोचे।
मुंबई/लखनऊ।उत्तर प्रदेश एटीएस (एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए मुंबई से तीन युवकों को गिरफ्तार किया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने गाज़ा युद्ध से प्रभावित लोगों की मदद के नाम पर करोड़ों रुपये की रकम जुटाई और उस पूरी राशि का दुरुपयोग किया। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम मोहम्मद अयान, जैद नोटियार और अबू सूफियान बताए गए हैं।
कैसे हुआ फर्जीवाड़ा?
एटीएस सूत्रों के अनुसार, इन आरोपियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन डोनेशन साइट्स का सहारा लिया। उन्होंने गाज़ा पीड़ितों की तस्वीरें और वीडियो साझा कर भावनात्मक अपील की, जिससे लोग बड़ी संख्या में प्रभावित होकर पैसे ट्रांसफर करने लगे।
कई बैंक खातों और डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल कर करोड़ों रुपये जमा किए गए।
दाताओं को भरोसा दिलाने के लिए फर्जी रसीदें और नकली ट्रांजेक्शन स्लिप्स भी साझा की गईं।
इकट्ठे हुए पैसों को गाज़ा राहत कार्यों में भेजने की बजाय निजी खर्चों और विलासिता में खर्च कर दिया गया।
एटीएस की कार्रवाई
शिकायतों और खुफिया इनपुट के आधार पर एटीएस ने जांच शुरू की। लेन-देन से जुड़े डाटा और डिजिटल ट्रेल खंगालने पर मामला साफ हुआ। इसके बाद मुंबई में छापेमारी कर तीनों आरोपियों को हिरासत में लिया गया।
फिलहाल उन्हें यूपी लाया गया है, जहां उनसे गहन पूछताछ चल रही है। एटीएस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या इस फंडिंग नेटवर्क से अन्य लोग या संगठन जुड़े थे।
करोड़ों का चंदा, एक भी रुपया गाज़ा नहीं पहुँचा
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि करोड़ों रुपये जुटाने के बावजूद गाज़ा या किसी अंतरराष्ट्रीय राहत संस्था तक एक भी रुपया नहीं पहुँचा। दानदाताओं की भावनाओं से खिलवाड़ करते हुए पूरी रकम हड़प ली गई।
लोगों को चेतावनी
एटीएस ने जनता से अपील की है कि किसी भी तरह की ऑनलाइन चंदा मुहिम में पैसे भेजने से पहले उसकी प्रामाणिकता अवश्य जांचें। सोशल मीडिया पर वायरल अपीलों पर आंख मूंदकर भरोसा करना भारी नुकसान का कारण बन सकता है।
यह मामला केवल आर्थिक ठगी का नहीं बल्कि संवेदनशील मुद्दे पर लोगों की भावनाओं का शोषण करने का है। गाज़ा जैसे मानवीय संकट को बहाना बनाकर चंदा जुटाना और उसे हड़प लेना न केवल कानूनन अपराध है बल्कि नैतिक दृष्टि से भी गंभीर अपराध माना जा रहा है। एटीएस की इस कार्रवाई ने ऐसे फर्जीवाड़ों के खिलाफ सख़्त संदेश दिया है।



