इलाहाबाद हाईकोर्ट में लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को झटका।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में लोकगायिका नेहा सिंह राठौर को झटका।
प्रयागराज।लोकगायिका नेहा सिंह राठौर, जो अक्सर अपने गीतों और सोशल मीडिया पोस्ट्स को लेकर सुर्खियों में रहती हैं, को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत नहीं मिल पाई। अदालत ने उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट का मानना है कि उनके खिलाफ लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि पुलिस जांच को रोका नहीं जा सकता।
मामला क्या है?
नेहा सिंह राठौर पर आरोप है कि उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाला, जिसमें कथित रूप से ऐसी बातें लिखी गईं जो समाज के अलग-अलग वर्गों में नफरत और तनाव को जन्म दे सकती थीं। इसके अलावा, इस पोस्ट में भारत की संप्रभुता और एकता पर सवाल खड़े किए गए और केंद्र सरकार पर तीखा आरोप लगाया गया।
प्रधानमंत्री पर विवादित टिप्पणी
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने प्रधानमंत्री का नाम अपमानजनक और असम्मानजनक तरीके से इस्तेमाल किया है। पोस्ट में धार्मिक पहलू के साथ-साथ बिहार चुनाव को भी जोड़ते हुए यह आरोप लगाया गया कि भाजपा सरकार अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए हजारों सैनिकों की जान जोखिम में डाल रही है और देश को पड़ोसी राष्ट्र के साथ युद्ध की ओर धकेल रही है।
कोर्ट का दृष्टिकोण
हाईकोर्ट ने कहा कि केस डायरी और एफआईआर के तथ्यों को देखने के बाद यह स्पष्ट होता है कि नेहा सिंह राठौर के खिलाफ प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध बनता है। ऐसे में पुलिस को स्वतंत्र रूप से जांच करने का पूरा अधिकार है और न्यायालय इस चरण पर एफआईआर को निरस्त नहीं कर सकता।
आगे की प्रक्रिया
अदालत के इस आदेश के बाद नेहा सिंह राठौर को पुलिस जांच का सामना करना होगा। अब जांच एजेंसी को सबूत इकट्ठा कर यह तय करना होगा कि उन पर लगे आरोप कितने प्रमाणित हैं। फिलहाल, हाईकोर्ट का फैसला उनके लिए एक बड़ा कानूनी झटका माना जा रहा है।
क्यों अहम है यह फैसला?
अदालत ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक व्यक्तित्वों द्वारा की जाने वाली टिप्पणियों की गंभीरता और जिम्मेदारी पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्तियों के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी को न्यायालय ने हल्के में नहीं लिया।
यह आदेश भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल साबित हो सकता है, जहां सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर भड़काऊ बयानबाजी की जाती है।



