प्रादेशिकराजनीति

स्विट्जरलैंड से डॉ. रोहिणी का सुसाइड की धमकी वाला पोस्ट, सांसद चंद्रशेखर आज़ाद पर फिर गंभीर आरोप।

स्विट्जरलैंड से डॉ. रोहिणी का सुसाइड की धमकी वाला पोस्ट, सांसद चंद्रशेखर आज़ाद पर फिर गंभीर आरोप।

नई दिल्ली।भीम आर्मी प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद उर्फ रावण के खिलाफ यौन शोषण का मामला उठाने वाली पीएचडी स्कॉलर डॉ. रोहिणी घावरी ने अब आत्महत्या की धमकी देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। मूल रूप से इंदौर की रहने वाली डॉ. रोहिणी इस समय स्विट्जरलैंड में रह रही हैं और वहीं से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर एक पोस्ट कर उन्होंने सनसनी फैला दी।

चंद्रशेखर पर आरोप दोहराए

बुधवार को किए गए अपने पोस्ट में डॉ. रोहिणी ने चंद्रशेखर पर गंभीर आरोप दोहराते हुए लिखा कि उन्हें लगातार इंसाफ से वंचित किया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी पीड़ा को कोई सुनने को तैयार नहीं है, और इसलिए वह ज़हर खाकर अपनी जान दे देंगी।

“लाश भारत मत लाना”

अपने पोस्ट में डॉ. रोहिणी ने यह भी लिखा कि उनकी मौत के बाद उनकी लाश भारत न लाई जाए। उनके मुताबिक, भारत में उन्हें लगातार नजरअंदाज किया गया और इंसाफ दिलाने में किसी ने मदद नहीं की, इसलिए उनकी अंतिम इच्छा है कि उनकी देह वहीं दफनाई जाए या वहीं की प्रक्रिया के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए।

भावुक कर देने वाला अलविदा

डॉ. रोहिणी ने अपने संदेश में परिजनों, मित्रों और समर्थकों को अंतिम अलविदा कहते हुए लिखा कि उन्होंने लंबा संघर्ष किया, लेकिन किसी ने उनका दर्द गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने इसे अपने जीवन का आखिरी संदेश बताते हुए बेहद भावुक अंदाज में पोस्ट लिखा।

बढ़ सकती हैं सांसद की मुश्किलें

इस घटनाक्रम के बाद सांसद चंद्रशेखर आज़ाद की परेशानी और बढ़ सकती है। यौन शोषण के पहले से लगे आरोपों के बीच डॉ. रोहिणी के इस धमकी भरे पोस्ट ने मामला और गंभीर बना दिया है। राजनीतिक हलकों में भी इस घटना की चर्चा तेज हो गई है कि अगर विदेश में ऐसी कोई अप्रिय घटना घटती है, तो यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी बड़ा मुद्दा बन सकता है।

सवालों के घेरे में प्रशासन और सिस्टम

सोशल मीडिया पर डॉ. रोहिणी की पोस्ट वायरल होते ही लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर उनकी बात क्यों नहीं सुनी गई? क्यों उन्हें लगातार अनसुना किया गया? क्या एक महिला को न्याय दिलाने में सिस्टम नाकाम साबित हुआ?

डॉ. रोहिणी का यह पोस्ट केवल व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश की न्याय व्यवस्था और राजनीतिक जवाबदेही पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब देखना यह होगा कि चंद्रशेखर आज़ाद और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और क्या डॉ. रोहिणी की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं।

 

Related Articles

Back to top button