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नवरात्रि पर प्रशासन की कार्रवाई से मचा बवाल, सांसद जगदंबिका पाल ने उठाए गंभीर सवाल।

नवरात्रि पर प्रशासन की कार्रवाई से मचा बवाल, सांसद जगदंबिका पाल ने उठाए गंभीर सवाल।

सिद्धार्थनगर।शारदीय नवरात्रि जैसे धार्मिक पर्व पर सिद्धार्थनगर जिला प्रशासन की कार्रवाई ने पूरे इलाके में हलचल मचा दी है। नौगढ़ विकास भवन के पास बने एक पुराने मंदिर को प्रशासन ने देर रात अचानक तोड़ डाला। मंदिर तोड़े जाने की इस कार्रवाई से न केवल स्थानीय जनता की भावनाएं आहत हुईं, बल्कि देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी खंडित हो गईं।

आधी रात की कार्रवाई ने बढ़ाया आक्रोश

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन ने मंदिर ध्वस्तीकरण को लेकर न तो कोई नोटिस दिया और न ही किसी तरह की जानकारी। अचानक बुलडोज़र चलाकर मंदिर ढहा देने से श्रद्धालु और आम नागरिक हैरान रह गए। कई लोगों का मानना है कि नवरात्र जैसे पावन समय में मंदिर तोड़ने का निर्णय असंवेदनशील और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला है।

सांसद जगदंबिका पाल की तीखी प्रतिक्रिया

घटना की सूचना मिलते ही क्षेत्रीय सांसद जगदंबिका पाल मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रशासन पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मंदिर किसी की राह में बाधा नहीं था, न ही विकास भवन की जमीन पर बना था। बावजूद इसके प्रशासन ने इसे तोड़ने का कदम क्यों उठाया, यह सवाल उठाना ज़रूरी है। पाल ने कहा कि वे इस पूरे मामले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में लाएंगे और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही तय होनी चाहिए।

राजनीति और प्रशासनिक तंत्र पर उठे सवाल

इस प्रकरण ने राजनीतिक गलियारों में भी बहस छेड़ दी है। विश्लेषक मानते हैं कि ऐसी कार्रवाई बिना उच्चस्तरीय अनुमति के संभव नहीं है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह कदम स्थानीय अफसरों की मनमानी थी या किसी बड़े दबाव में लिया गया फैसला? इसके अलावा, नवरात्र के समय इस तरह का कदम प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी प्रश्न खड़ा करता है।

जनता में आक्रोश और असमंजस

स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि मंदिर वर्षों से उनकी आस्था का केंद्र रहा है। वहां पूजा-अर्चना नियमित रूप से होती थी और कभी किसी को असुविधा नहीं हुई। ऐसे में अचानक बुलडोज़र चलाने का औचित्य समझ से परे है। कई लोग इसे धार्मिक भावना से जुड़ा मामला बता रहे हैं और कार्रवाई की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं।

आगे की दिशा क्या होगी

इस घटना ने प्रशासन की कार्यशैली, पारदर्शिता और निर्णय लेने की प्रक्रिया को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सांसद पाल ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे को सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। अब देखना यह होगा कि सरकार इस विवादित कार्रवाई पर क्या रुख अपनाती है और क्या दोषियों पर कार्रवाई होती है या नहीं।

 

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